
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब सीमा पर गोलाबारी, ड्रोन की आवाज़ें और टीवी पर शोर-शराबा चरम पर था, तब एक शांत और संतुलित आवाज़ के रूप में विदेश सचिव विक्रम मिस्री सामने आए। उनके साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी थीं। इस टीम ने यह संदेश दिया कि इस सैन्य अभियान में कूटनीति और सेना की रणनीति एक साथ चल रही है।
मिस्री के बारे में उनके बैचमेट्स और वरिष्ठ राजनयिक कहते हैं कि वह “पूरी तरह से प्रोफेशनल” हैं और आज के सोशल मीडिया के दौर में, जहां आत्मप्रचार आम है, वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बिना दिखावा किए अपने काम से पहचान बनाते हैं।
1989 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल होने से पहले, मिस्री ने तीन साल तक मुंबई की लिंटास इंडिया और दिल्ली की कॉन्ट्रैक्ट एडवर्टाइजिंग में एडमैन (विज्ञापन पेशेवर) के रूप में काम किया था। इस अनुभव ने उनके संवाद कौशल को निखारा, जिसका उपयोग उन्होंने चीन, म्यांमार जैसे देशों में राजदूत के रूप में और आगरा शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान में फर्स्ट सेक्रेटरी रहते हुए किया।
विज्ञापन की दुनिया से निकलकर भारत के सबसे भरोसेमंद राजनयिकों में शुमार होना विक्रम मिस्री की एक ऐसी यात्रा है जो शांति, संजीदगी और प्रभावशाली नेतृत्व की मिसाल बन गई है।